Saturday, December 12, 2009

चलो चलें हम ऐसे द्वार

द्वार जहाँ मिलेगा ज्ञान-प्रकाश,
होती पूरित उज्ज्वल आश ।।
एक रूप हो मानस-ध्यान,
शुद्ध विवेक-बुद्धि का धाम ।।
चहुँ ओर हो समता-प्यार,
चलो चलें हम ऐसे द्वार ।।
कर्मवीर जहँ अमर जवान,
वैज्ञानिक हो जहँ गुणवान ।।
शिक्षा के मन्दिर हो ऐसे,
बन निकले जहाँ व्यक्ति महान् ।।
पले जहाँ सब सुसंस्कार,
चलो चलें हम ऐसे द्वार ।।
रोम-राम अनुशासन डूबा,
रक्त कणों में शिष्टाचार ।।
स्वयं विधाता हर मानव में,
मानवता के भरे विचार।।
आज समय की यही पुकार,
चलो चलें हम ऐसे द्वार ।।
शिखर पार होते चढ़ने से,
मंजिल मिले कदम बढने से ।।
ज्ञान मिले लिखे-पढने से,
प्रतिफल नया-नया गढने से ।।
शिक्षा का सबको अधिकार,
चलो चलें हम ऐसे द्वार ।।
सुख सातों मिलते जिस द्वार,
चलो चलें हम ऐसे द्वार ।।

No comments:

Post a Comment